Hindi Grammar ( हिंदी व्याकरण ), Hindi bhasha ko shuddh rup me likhne aur bolne sambandhi niymo ka bodh kranevala shastr hai. Yah Hindi bhasha ke adhyayan ka mahattvpurn hissa hai. Isme Hindi ke sabhi swarupo ka char khando ke antargat adhyayan kiya jata hai; Yatha – varn vichar ke antargat dhvani (ध्वनि) aur varn (वर्ण) tatha shabd vichar (शब्द विचार) ke antargat shabd ke vividh paksho sambandhi niymo aur vaky vichar (वाक्य विचार) ke antargat vaky sambandhi vibhinn sthitiyo evam Chhand vichar (छंद विचार) me sahityik rchnao ke shilpgat paksho pr vichar kiya gya hai.
Hindi Grammar ( हिंदी व्याकरण ) ke antargat niche likhi vishyo ko shamil kiya jata hai :-
वर्ण विचार :-
हिंदी व्याकरण का पहला खंड वर्ण विचार है, जिसमें भाषा की मूल इकाई ध्वनि तथा वर्ण पर विचार किया जाता है। इसके अंतर्गत हिंदी के मूल अक्षरों की परिभाषा, भेद-उपभेद, उच्चारण, संयोग, वर्णमाला इत्यादि संबंधी नियमों का वर्णन किया जाता है। वर्ण विचार के मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
- वर्ण
- स्वर
- व्यंजन
शब्द विचार : –
हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड शब्द विचार है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है। शब्द की परिभाषा- एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है।
शब्द – भेद
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द-भेद
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द-भेद मुख्यतः तीन प्रकार के होते है –
- रूढ़
- यौगिक
- योगरूढ़
उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद मुख्यतः चार प्रकार के होते है –
- तत्सम
- तद्भव
- देशज
- विदेशज या विदेशी
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद मुख्यतः आठ प्रकार के होते है –
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- क्रिया-विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
अर्थ के आधार पर शब्द-भेद
अर्थ के आधार पर शब्द-भेद मुख्यतः दो प्रकार के होते है –
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
शब्द :-
वर्णों या अक्षरों के सार्थक समूह को “शब्द” कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते है।
1. विकारी शब्द
हिंदी व्याकरण के अनुसार विकारी शब्दों को चार भागो में बाँटा गया है –
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
संज्ञा – किसी भी स्थान, व्यक्ति, वस्तु आदि का नाम बताने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के कुल पांच भेद होते है जो निम्नलिखित है –
- व्यक्तिवाचक – मोहन, भारत, चन्द्रमा आदि ।
- जातिवाचक – भेड़ , पहाड़, मनुष्य आदि।
- समूह वाचक – बारात, कक्षा, झुंड आदि।
- द्रव्यवाचक – लोहा, मिट्टी, पानी आदि।
- भाववाचक – बुढापा, भाईचारा, मातृत्व आदि।
सर्वनाम – संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्दो को सर्वनाम कहते हैं। इनका उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि संज्ञा की पुनरुक्ति ( बार-बार उपयोग) न हो। उदाहरण – मैं, तुम, आप, वह, वे आदि।
सर्वनाम के छह प्रकार के भेद हैं-
- पुरुषवाचक (व्यक्तिवाचक) सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबन्धवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
विशेषण – संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण के चार भेद होते है।
- संख्यावाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- गुणवाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
क्रिया – कार्य का बोध कराने वाले शब्द को क्रिया कहते हैं। क्रिया के दो भेद है –
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
2. अविकारी शब्द
अविकारी शब्द या अव्यय भी चार प्रकार के होते हैं- क्रिया विशेषण, संबन्ध बोधक, संयोजक और विस्मयादि बोधक ।
क्रिया विशेषण
किसी भी क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को “क्रिया विशेषण” कहते हैं।
क्रिया विशेषण के भेद:
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण : सीता ने अचानक कहा।
- कालवाचक क्रिया विशेषण : गौरव ने कल कहा था।
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण : सोहन यहाँ आया था।
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण : सौरभ कम बोलता है।
समुच्चय बोधक
दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले संयोजी शब्द को समुच्चय बोधक कहते हैं। उदाहरण – सीता और गीता दोनों बहने है; यहां पर ‘और’ शब्द समुच्चयबोधक शब्द है।
विस्मयादि बोधक
विस्मय या हैरानी प्रकट करने वाले शब्दों को विस्मयादिबोधक शब्द कहते है। उदाहरण – ‘अरे !‘ आज मैं दवाई लेना भूल गया; यहाँ ‘अरे’ शब्द विस्मयादिबोधक शब्द है।
पुरुष
हिन्दी में तीन पुरुष होते हैं-
- उत्तम पुरुष – मैं, हम
- मध्यम पुरुष – तुम, आप
- अन्य पुरुष – वह, राम आदि
वचन
हिन्दी व्याकरण या दुनिया के किसी भी भाषा में दो वचन होते हैं:
- एकवचन – जैसे राम, मैं, काला, आदि एकवचन में हैं।
- बहुवचन – हम लोग, वे लोग, सारे प्राणी, पेड़ों आदि बहुवचन में हैं।
लिंग
हिन्दी व्याकरण में सिर्फ़ दो ही लिंग होते हैं: स्त्रीलिंग और पुल्लिंग।
- स्त्रीलिंग – स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्दों को स्त्रीलिंग कहते है। उदाहरण – बकरी दूध देती है।
- पुल्लिंग – पुरुष जाति का बोध कराने वाले शब्दों को पुल्लिंग कहते है। उदाहरण – बैल घास खाता है।
कारक
हिंदी व्याकरण में छह कारक माने जाते है। कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबन्ध, अधिकरण, संबोधन।
उपसर्ग
वे शब्द जो किसी दूसरे शब्द के आरम्भ में लगाये जाते हैं और इनके लगाने से शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ सकता है। उदाहरण – सु + शील = सुशील।
उपसर्ग चार प्रकार के होते हैं –
- संस्कृत से आए हुए उपसर्ग
- कुछ अव्यय जो उपसर्गों की तरह प्रयुक्त होते है
- हिन्दी के अपने उपसर्ग (तद्भव)
- विदेशी भाषा से आए हुए उपसर्ग |
प्रत्यय
वे शब्द जो किसी शब्द के अन्त में जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ में परिवर्तन ला देते है, उन्हें प्रत्यय कहते है। उदहारण – भाई + चारा = भाईचारा।
संधि
दो शब्दों के पास-पास होने पर उनको जोड़ देने को सन्धि कहते हैं। उदहारण – सूर्य + उदय = सूर्योदय।
समास
दो शब्द आपस में मिलकर एक समस्त पद की रचना करते हैं। उदहारण – राज + पुत्र = राजपुत्र।
समास के छः प्रकार के होते है।
- द्वन्द
- द्विगु
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- अव्ययीभाव
- बहुब्रीहि
वाक्य विचार :-
हिंदी व्याकरण का तीसरा खंड वाक्य विचार है जिसमें वाक्य की परिभाषा, भेद-उपभेद, संरचना आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है।
वाक्य
शब्दों का वह समूह जिसके अलग-अलग अर्थ न निकलकर, पूरा-पूरा और एक जैसा अर्थ निकले, उसे वाक्य कहते है। वाक्य के मुख्यतः दो तत्व होते है –
- उद्देश्य – जिसके बारे में बात की जाए उसे उद्देश्य कहते है।
- विधेय – जो बात की जाए उसे विधेय कहते है।
उदाहरण – गाय दूध देती है । यह ‘गाय’ उद्देश्य है और ‘दूध देती है’ एक विधेय है।
वाक्य के निम्नलिखित आधार पर दो भेद किए जाते है –
रचना के आधार पर वाक्य भेद
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते है – सरल, संयुक्त और मिश्रित।
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य सात प्रकार के होते है –
- विधान वाचक वाक्य
- निषेधवाचक वाक्य
- प्रश्नवाचक वाक्य
- विस्म्यादिवाचक वाक्य
- आज्ञावाचक वाक्य
- इच्छावाचक वाक्य
- संदेहवाचक वाक्य।
काल
वाक्य का सीधा सीधा सम्बन्ध कल से है; वाक्य तीन कालो में से किसी भी एक में हो सकते है। काल मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।
वर्तमान काल – वर्तमान समय। उदाहरण – मैं पढ़ने जा रहा हु।
वर्तमान काल के मुख्यतः तीन भेद होते है –
- सामान्य वर्तमान काल
- संदिग्ध वर्तमानकाल
- अपूर्ण वर्तमान काल
भूतकाल – पिछला समय। उदाहरण – वह सारे काम खत्म कर चुका था।
भूतकाल के मुख्यतः छः भेद होते है –
- समान्य भूत
- आसन्न भूत
- पूर्ण भूत
- अपूर्ण भूत
- संदिग्ध भूत
- हेतुमद भूत
भविष्य काल – आने वाला समय। उदाहरण – कल मामा घर आएंगे।
भविष्य काल के मुखयतः दो भेद होते हैं-
- सामान्य भविष्य काल
- संभाव्य भविष्यकाल।
छन्द विचार
छन्द विचार हिंदी व्याकरण का चौथा खंड है जिसके अंतर्गत वाक्य के साहित्यिक रूप में प्रयुक्त होने से संबंधित विषयों वर विचार किया जाता है। इसमें छंद की परिभाषा एवं उसके प्रकार, अलंकार और रस पर आदि पर विचार किया जाता है।
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